Thursday 31 May 2012

बाबुल की बिटियाँ


रोई रोई आँखों से करे 
मेरी नन्ही परी सवाल है 
मैं तेरा बाबुल हूँ बिटियाँ 
देख मेरा भी तुझसा हाल है !!


याद है तेरी पहली किलकारी 
वो मधुर मधुर कोयल सी वाणी 
नन्हे नन्हे कदमो का शोर 
वो छम छम ध्वनि पायल की 
झूमती कूदती घर आँगन में 
वो लाडो से पली लाडली हमारी !!


मीठी मीठी तेरी तुतलाती बोली 
बातें इतनी जैसे खिलौनों की झोली 
रूठे तो मुँह फुलाना तेरा 
इक प्यारी पारी से मान जाना तेरा 
वो मंद मंद देख मुस्कुराना तेरा 
घर आऊ तो मुझसे लिपट जाना तेरा !!

बिन गोदी मेरी खाना न खाना 
रातों को न खुद सोना और 
मुझे भी जगाना ............
रो -रो क्र हर जिद्द मनवाना 
फिर गले लिपटकर प्यार जाताना !!


राजकुमारी अपने बाबा की 
बड़े नाजों से पाली है मैंने 
जिगर का टुकड़ा है मेरा
बेटी नही तू तो बेटा है मेरा !!



रीत है दुनिया की निभानी तो होगी 
मेरी लाडली तेरी भी बिदाई तो होगी 
जनता हूँ मैं बहुत याद आऊंगा 
जब तू बचपन की यादों में होगी 
पूंजी है तू जीवन की मेरी 
लाडो पर ये जुदाई तो होगी !!




4 comments:

businesspurely said...

बड़ीया लिखी है स्वाती जी ...

ANULATA RAJ NAIR said...

बेटियाँ अनमोल नगीना होतीं हैं हमारे खजाने का...

सुन्दर रचना स्वाति जी
अनु

Unknown said...

thnkss a lot!! :)

Unknown said...

Thnkss mridul ji :)