ऐ काश फिर वो मौसम वो लम्हे लौटे
खो जाया करते थे जिसमे हम बैठे बैठे
न होती थी तकरार कभी न कभी लड़ाई
प्यार की अपनी एक दुनिया थी सजाई
कब रात दिन में,दिन रात में ढलते थे
खामोशियों में हम तुझे सुना करते थे
कुछ अलग दुनिया हो चली थी अपनी
सपने हकीक़त में तब्दील हो रहे थे
इश्क दीवानगी से जूनून हो चला था
वर्क वर्क पे तेरा नाम हमने खुदा लिखा था !!
खो जाया करते थे जिसमे हम बैठे बैठे
न होती थी तकरार कभी न कभी लड़ाई
प्यार की अपनी एक दुनिया थी सजाई
कब रात दिन में,दिन रात में ढलते थे
खामोशियों में हम तुझे सुना करते थे
कुछ अलग दुनिया हो चली थी अपनी
सपने हकीक़त में तब्दील हो रहे थे
इश्क दीवानगी से जूनून हो चला था
वर्क वर्क पे तेरा नाम हमने खुदा लिखा था !!